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छठी कक्षा से ही स्किल्स की पढ़ाई, बिहार के स्कूलों में बदलेगा शिक्षा का ढांचा
- Reporter 12
- 21 Dec, 2025
पटना।बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई अब किताबों तक सीमित नहीं रहेगी। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए छठी कक्षा से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू करने की तैयारी कर ली है। इसका मकसद बच्चों को कम उम्र से ही हुनर से जोड़ना और उन्हें भविष्य की जरूरतों के अनुसार तैयार करना है।शिक्षा विभाग इस व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा। नीतीश सरकार का जोर इस बात पर है कि स्कूली शिक्षा के साथ-साथ छात्र रोजगार और स्वरोजगार के विकल्पों को भी समझें। इसी सोच के तहत बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को जोड़ा जा रहा है।विभाग की योजना है कि बच्चों में स्टार्टअप और उद्यमिता की समझ छोटी उम्र से विकसित हो। इसके लिए प्री-वोकेशनल कोर्स की रूपरेखा तैयार की जा रही है। पाठ्यक्रम निर्माण की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) को सौंपी गई है, जो आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखकर सिलेबस तैयार कर रही है।अब तक व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत नौवीं कक्षा से होती थी, लेकिन शैक्षणिक सत्र 2026-27 से यह व्यवस्था छठी कक्षा में ही लागू कर दी जाएगी। शिक्षा विभाग के अनुसार 11–12 वर्ष की उम्र से ही बच्चों को कौशल विकास और व्यावहारिक प्रशिक्षण से जोड़ा जाएगा।प्रस्तावित पाठ्यक्रमों में कंप्यूटर, सूचना प्रौद्योगिकी, हेल्थकेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, लॉजिस्टिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। इसके अलावा ऑटोमोबाइल्स, रिटेल मैनेजमेंट, बैंकिंग, मीडिया व एंटरटेनमेंट, ब्यूटी और वेलनेस जैसे कोर्स भी तैयार किए जा रहे हैं।
अधिकारियों का मानना है कि नौवीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते अधिकांश छात्र अपने करियर को लेकर सोचने लगते हैं। यदि इससे पहले ही उन्हें व्यावसायिक शिक्षा से परिचित करा दिया जाए, तो उनका झुकाव हुनर आधारित क्षेत्रों की ओर बढ़ेगा और आत्मविश्वास भी मजबूत होगा।
दिल्ली सहित कुछ अन्य राज्यों में यह मॉडल पहले से लागू है। NCERT ने भी इस पहल को लेकर राज्यों को मार्गदर्शन जारी किया है। योजना के अनुसार छठी से आठवीं कक्षा तक बच्चों को व्यावसायिक क्षेत्रों की शुरुआती जानकारी दी जाएगी। भविष्य में शिक्षा विभाग इससे भी निचली कक्षाओं में बेसिक वोकेशनल एजुकेशन शुरू करने पर विचार कर रहा है।इस बदलाव के साथ बिहार की स्कूली शिक्षा न सिर्फ किताबी ज्ञान, बल्कि हुनर और रोजगार की दिशा में भी एक नया रास्ता खोलने जा रही है।
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